Saturday, March 8, 2025

वीर्य को रोककर घंटों सेक्स मे उतरने की योग कला /विद्या 2

 वीर्य को रोककर घंटों तक सेक्स करने की कला को प्राचीन योग और तंत्र विद्या में "ब्रह्मचर्य" या "वज्रोली मुद्रा" के रूप में जाना जाता है। यह कला न केवल शारीरिक सहनशक्ति को बढ़ाती है, बल्कि मानसिक संतुलन और आध्यात्मिक ऊर्जा को भी जागृत करती है। इसका उद्देश्य केवल भौतिक सुख प्राप्त करना नहीं, बल्कि ऊर्जा को संरक्षित करना और उसे उच्चतर चक्रों की ओर प्रवाहित करना है।



वीर्य रोकने की योग कला के मुख्य सिद्धांत:

  1. ब्रह्मचर्य का पालन:
    ब्रह्मचर्य का अर्थ है इंद्रियों पर नियंत्रण और वीर्य की रक्षा करना। यह शारीरिक और मानसिक ऊर्जा को बचाने में मदद करता है।

  2. वज्रोली मुद्रा:
    यह हठ योग की एक महत्वपूर्ण मुद्रा है, जिसमें यौन ऊर्जा को नियंत्रित किया जाता है। इसके अभ्यास से वीर्य का प्रवाह रोका जा सकता है और उसे ऊर्ध्वारोहित (ऊपर की ओर प्रवाहित) किया जा सकता है।

  3. कुंडलिनी जागरण:
    वीर्य को रोककर और यौन ऊर्जा को संरक्षित करके, कुंडलिनी शक्ति को जागृत किया जा सकता है। यह आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।

  4. प्राणायाम और ध्यान:
    नियमित प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से मन और शरीर को नियंत्रित किया जा सकता है। इससे यौन ऊर्जा का सही दिशा में उपयोग होता है।

  5. सेक्सुअल कंट्रोल के लिए व्यायाम:
    पेल्विक फ्लोर मसल्स को मजबूत करने वाले व्यायाम, जैसे कि केगल एक्सरसाइज, इस कला में सहायक होते हैं। इनसे वीर्य को रोकने की क्षमता बढ़ती है 

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सावधानियाँ:

  • इस कला का अभ्यास करने से पहले किसी योग गुरु या विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है।

  • गलत तरीके से अभ्यास करने पर शारीरिक या मानसिक समस्याएं हो सकती हैं।

  • इसका उद्देश्य केवल भौतिक सुख प्राप्त करना नहीं, बल्कि आध्यात्मिक विकास करना होना चाहिए। 



                 



निष्कर्ष:

वीर्य को रोककर घंटों तक सेक्स करने की यह कला एक उच्च स्तर की योग विद्या है, जिसे सही मार्गदर्शन और अनुशासन के साथ ही सीखना चाहिए। यह न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक लाभ भी प्रदान करती है।


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